शनिवार, 8 सितंबर 2012

Camel

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ऊँट रेगिस्तान में रहने वाला सबसे उत्तम प्राणी है इसे रेगिस्तान का जहाज़ के नाम से उपमा दिया जाता है, जहाज़ इसलिए कहा जाता है क्योकि ये रेगिस्तान में बहुत ही आराम से दौड़ लगा सकता है | ऊँट रेगिस्तान में ६५ किमी/घंटा की रफ़्तार से दौड़ सकता है | ऊँट कैमुलस प्रजाति के अंतर्गत आने वाला एक स्तनधारी जीव है, ऊँट के पीठ पर कूबड़ होते है, किसी ऊँट की एक कूबड़ तो किसी ऊँट के दो कूबड़ होते है एक कूबड़ वाले ऊँट अरबी ऊँट कहलाते जबकि दो कूबड़ वाले बैकट्रियन ऊँट कहलाते है | संस्कृत में ऊँट को उष्ट्रः कहते है | ऊँट के गर्दन बड़ी और अंग्रज़ी के एस (S) के आकार जैसे होती है | ऊँट के कूबड़ उनके शरीर से लगभग ३० इंच उपर तक बढ़ता है | ऊँट का वजन ३००-६९० किग्रा तक हो सकता है, इनकी लंबाई ७.२५-११.५ फिट तक हो सकती है | ये सामान्यता: चार रंगो में होते है पीला भूरा रंग, दूधिया रंग, भूरा रंग और काला | ऊँट प्राय: कांटेदार और नमकीन पौधा, घास और फसल को ही अपने भोजन के रूप में चुनते है क्योकि उनको मरुस्थल में उनको इनके अतिरिक्त इन्हे कुछ खाने को प्राप्त नही होता इनकी जीभ गद्देदार होती है जिससे ये आसानी से कांटेदार पौधों को आसानी से खा सकते है | ऊँट रेगिस्तान का जहाज़ कहने के लिए सर्वाधिक उपयोगी इसलिए है क्योकि रेगिस्तान में पानी का आभव होता है और ऊँट बिना पानी पिए १० महीने तक जीवित रह सकता है ये इनके पीठ पर बने कूबड़ के कारण होता है | लेकिन ऊँट जब पानी पीते है तो एक बार में ४० गैलन पीने की क्षमता रखता है वो अपना भोजन और पानी अपने कूबड़ में संचित कर निश्चिंत हो जाते है | ऊँट के दोहरी बरौनी होती है जिससे उन्हें रेगिस्तान में उड़ती हुई रेत में भी आसानी के देख सकने में सहायता प्राप्त होती है इनके पैर लंबे-लंबे होते है जिससे इनको गर्म रेत में भी नीचे से इनके शरीर तक गर्मी न पहुच सके | 
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ऊंटनी १३ महीने के गर्भकाल के बाद अपने बच्चे को जन्म देती है | जन्म के समय उनके बच्चे की आँखें खुल जाती है और कुछ ही घंटों में ये दौड़ना प्रारंभ कर देते है | २ से ३ महीनों में वो घास खाना शुरू कर देते है, केवल ४ महीने तक ही अपनी माँ का दूध पीते है इसके बाद छोड़ देते है, जन्म के समय बच्चे का वजन लगभग ४० किलो तक होता है, ये देखने में बड़े ही प्यारे लगते है, इनका शरीर पूरे रुए के जैसा होता है | ५ वर्ष की आयु में ये पूर्णता: वयस्क हो जाते है | ये प्राय: झुंड में रहना पसंद करते है | दूसरो जनवरो की तुलना में ऊँट में भार ढोने की क्षमता भी अधिक होती है ये २०० किलो तक के भार को आसानी से ढोने में सक्षम होते है | ये प्राय: जंगलो में शेर और चीता के द्वारा शिकार की चपेट में आ जाते है इनकी इनकी अनुमानित आयु ४०-५० वर्ष तक ही होती है  | ये भारत के राजस्थान राज्य में अधिक पाए जाते है |
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Bear


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                      भालू अंग्रेज़ी में बेयर और संस्कृत में ऋक्ष कहते हैं | भालू उरसीडे परिवार का एक स्तनधारी जानवर है   इनका शरीर मखमलीनुमा होता है और शरीर पूरा बालों से ढाका रहता है | भालू सामान्यता: तीन रंगो में पाए जाते है एक काला और दूसरा भूरा भालू और तीसरा सफ़ेद भालू | भालू सर्वाहारी प्राणी है, पोलर बीयर माँसाहारी होता है | परंतु कुछ भालू वनस्पति और माँस दोनो ही खाते है | भालू देखने में भारी-भरकम होता है इनके हाथ पैर सामान्य होते है पेट ज़्यादा बड़ा होता है परंतु ये तेज़ी से दौड़ लगा सकते है, इन्हे अच्छे से तैरना आता है इसके साथ-साथ ये पेड़ों पर आसानी से चढ़ने में माहिर होते है  |
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                                                                  इनके हाथों की नाख़ुने काफ़ी मजबूत होती है |भालू कई प्रकार के आवाज़ें निकालने में माहिर होते है इनकी आवाज़ें विभिन्न प्रकार की होती है कराहना की आवाज़े, भूंकना, हँफनी, गुर्राहट, आर्तनाद और भिनभिनाहट जैसी | सभी भालुओं के गर्भकाल भिन्न है, काले भालू का गर्भकाल २२० दिन होता है और भूरे भालू का गर्भकाल २१५ दिन तो सफेद भालू का गर्भकाल २४१ दिन होता है | भालू झुंड में रहना पसंद नही करता यह प्राय: अकेला मदमस्त रहने वाला प्राणी है वह केवल प्रजनन करने के समय की मादा के संपर्क में आता है | भालू की जीभ लंबी होती है , भालू कभी मारे हुए शिकार को नही ख़ाता है | भालू का पसंदीदा भोजन शहद है, मधुमखिया उन्हे कुछ भी नही कर पाती है क्योकि उनके शरीर के बाल उनकी रक्षा करती है इसलिए वो आसानी से शहद खा पाते है |भालू के सुघने की क्षमता अधिक होती है | भालू आवास मांद होता है, वह अपने मांद में ही रहता है |

                                                                                                                                                                  
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           भूरे भालू सभी भालू के प्रजातियों में बड़े होते है | नर भालू की लंबाई मादा भालू से अधिक होती है नर भालू ६ से ९ फिट तक होते है तो मादा भालू की लंबाई ५ से ८ फिट तक होती है जिससे देख कर नर मादा की पहचान कर ली जाती है | मादा भालू एक साथ १ से ४ बच्चे तक को जन्म देती है | जन्म के समय बच्चे का वज़न 1 से 1.5 पाउंड्स तक के बीच में होता है | ३ से ५ की आयु में ये व्यस्क हो जाते है, इनके आयु केवल २५ वर्षों तक ही होता है फिर इनकी मृतु हो जाती है | प्राय: ये तो अकेले पाए जाते है परन्तु ये मई से जुलाई से के समय मादा भालू के संपर्क में प्रजनन के अवसर के लिए आते है | भूरे भालू सर्वग्राही होते है वे सभी कुछ खाते है जो उनके आस-पास होते है, ये घास, पत्ते, जंगली बेरी,फल ,दीमक, कीड़े-मकोंडों, चींटी और भी विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु चूहा गिलहरी आदि कतरने वाले जानवर, लोमड़ी, मृग और भेड़ को ये पसंदीदा रूप से पसन्द करते है | ये मछली खाने बहुत ही शौकीन होते है और पकड़ने में भी माहिर होते है | 
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                                काले भालू उत्तरी अमेरिका में पाए जाते है, इनकी लंबाई ४ से ७ फीट तक होती है | ये चेहरा सीधा और कंधा चौड़ा होता है | इनके कान छोटे होते है, ये बहुत तेज़ी से पेड़ो चढ़ते है वयस्क होने पर इनका शरीर भारी हो जाता है तो उतनी अच्छे से नही चढ़ पाते है परंतु जब ये छोटे होते है तो बहुत आसानी से तेज़ी से चढ़ पाते है | ४ से ७ फीट की लंबाई होने के कारण इनका वजन २०० से ६०० पौंड के बीच होता है | ये मादा के संपर्क में प्रजनन हेतु मई से अगस्त का महीना उपयुक्त मानते है | मादा के गर्भकाल की अवधि ६० से ७० दिन ही होते है लगभग ढाई महीने में ही बच्चे जन्म दे देते है | एक साथ ये १ से ३ बच्चे जन्म देती है बच्चे एक पौड के लगभग होते है | काला भालू बहुत ही शर्मीले स्वाभव के होते है वो इंसानो से बहुत ही दूर भागते है,इन्हें मछलियाँ खाना बहुत पसंद है, ये कुशल तैरक है | ये कम दूरी में अच्छे से दौड़ सकते है इनकी न्यूनतम २५ से ३० प्रति / घंटा दौड़ सकते | 
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                  पोलर बीयर आर्कटिक प्रांत में पाए जाते है, ये ज़मीन और बर्फ के समुदर में पाए जाते है | ध्रुव पर बर्फ पिघलने के कारण इनका अस्तित्व ख़तरे में पड़ता जा रहा है | ये शिकार में माहिर होते है ध्रुव पर पाए जाने वाली सील का ये शिकार बहुत करते है ये शर्मीले स्वभाव के नही होते है अगर इन्हे उकसाया जाए तो ये बहुत जल्द ही आक्रमण कर देते है | समुंद्रिया पक्षियों और उनके अंडों ये काफ़ी शौकीन होते है ये ज़मीन और समुंद्र में रहने वाले दोनो का ये शिकारकरते है | पोलर बीयर पूरी तरह सफेद होते है और इनके फर होते है जो इन्हे ठंड से बचाने में सहायता करती है जब ये शिकार करते है तो ये खून से इनका चेरहा लाल हो जाता है |
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CHEETAH

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               चीता एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत आने वाला स्तनपायी और मांसाहारी जीव है | ये जाति ए.जुबैटस से संबंधित है | चीता शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चित्रकायः से हुई है जबकि हिंदी में चीता कहते है जिसका अर्थ होता है बहुरंगी शरीर वाला जन्तु और ग्रीक शब्द में इसे एसीनोनिक्स कहते हैं, जिसका अर्थ होता है न घूमने वाला पंजा | इनकी कंधे से लंबाई ढाई से तीन फीट तक होता है | इनका वज़न ५० से ६४ किग्रा तक होता है | इनका जीवनकाल १० से १२ साल तक ही होता है | ये बहुत ही कुशल धावक होते है बहुत तेज दौड़ने वाले प्राणी माने जाते है ये लगभग 113 किलोमीटर / घंटे की रफ़्तार से दौड़ने में माहिर होते है तेज दौड़ते समय उनकी छलाँग ६ से ७ मीटर तक होती है | इसे ज़मीन पर रहने वाले सभी जानवरों में सबसे तेज़ जानवर माना जाता है | इनके शरीर में अदभुत ही फूर्ती और रफ्तार है जिसे कारण इनको सबसे तेज जानवरों की सूची में जाना जाता है |

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        बिल्ली की तरह दिखने वाले ये चीते काले रंग के होते है इनके शरीर पर गोले-गोले मोटे-मोटे धब्बे होते हैं | तेंदुआ और चीता के धब्बों में काफ़ी अंतर होता है और इनके चेहरों में भी अंतर होता है | चीतों के चेहरों में उनकी बड़ी-बड़ी आखें होती है, आखों के नीचे काले रंग के आँसू चिह्न देखने को मिलते है जबकि ये ऐसा तेंदुआ में नही होता है | ये आँसू चिह्न आंख के कोने वाले भाग से लेकर नाक के नीचे उसके मुंह तक पहुँचती है जो इसे उन्हें सूर्या की रोशनी में भी अच्छा शिकार करने में सहायता मिलती है | 
  
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                   चीते की शरीर की लंबाई ११५-१३५ सेमी तक होता है जबकि उनकी पूंछ की लंबाई ८४ सेमी तक हो सकते हैं | इनका शरीर छोटा होने के साथ-साथ इनकी पूंछ लम्बी होती है | लेकिन इनके पूंछ में धब्बे होने के साथ-साथ पूंछ के अंत में ४ से ६ काले गोले होते है और पूंछ के अंत में सफेद गुच्छा सा होता है | ये अपनी पूंछ का उपयोग एक दिशा को  नियंत्रक करने के रूप में करते है, जो इन्हें तेजी से मुड़ने की अनुमति प्रदान करते है | सामान्यता: नर चीता मादा चीता से आकार में थोड़े बड़े ही होते हैं | इनके सिर का आकार थोड़ा सा बड़ा होता है, पर आमतौर चीता का शरीर आकार तेन्दुएं की तुलना में छोटा होता है | चीता प्राय: ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है, परंतु ये वृक्षों पर सही ढंग से नहीं चढ़ सकता है परंतु अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में आराम से चढ़ सकते है | एशियाई चीता मुख्यता भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, ओमान, सीरिया, रूस, जॉर्डन, ईरान, इराक, इजरायल में पाए जाते है | 
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                  चीता हमेशा पारिवारिक सदस्यों के साथ ही रहते हैं और एक साथ मिलकर एक अपना समूह बना लेते है | पूरे साल इनका समागम चलता रहता है इनका गर्भकाल लगभग ३ महीनो का होता है | मादा एक साथ २-४ बच्चों को जन्म देती है | बच्चों के शरीर पर बहुत आयल होते है जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते है इनेक आयल कम होते होते ख़त्म हो जाते है | उनकी माता उन्हें ५-६ हफ्तों के लिए सभी से छुपा के रखती है की कोई भी अन्य जानवर उनको अपना शिकार ना बना ले और उन्हें लगभग डेढ़ महीने के बाद ही अपने साथ शिकार पर ले जना शुरु कर देती है ताकि वो भी शिकार करने का गुण सीख ले | इनेक शिकार करने की अलग ही कला है ये पहले अपने शिकार के पीछे धीरे-धीरे चलते है ताकि उनको कुछ पता न चले जब ये अपने शिकार से लगभग १०-३० मीटर की दूरी पर होते है उसी समय ये फिर अचानक उसका पीछा करना शुरु कर देता है, और फिर उन पर गला घोंट कर अपना शिकार बना लेते है ये प्रक्रिया इतनी जल्दी होती है की शिकार को अपने आस-पास किसी की होने की गतिविधियों का पता ही नही चल पता है, कभी-कभी ऐसा भी होता है जब ये शिकार का पीछा करते है और शिकार इनसे बच के निकल जाता है तो ये फिर उन्हें छोड़ देते है | चीता दिन के समय ही शिकार करता है, या फिर शाम के समय, ये अपने शिकार के लिए ऐसे समय का चयन करता है जब गर्मी कम हो और अंधेरा अधिक न हो यही समय इनके शिकार के लिए उपयुक्त समय होता है | चीता मुख्यरूप से उन्ही मांसाहारी जानवरों का शिकार करता है जो स्तनपायी होते है, ये मुख्यरूप से हिरण, थॉमसन चिकारे, ग्रांट चिकारे, इम्पला का ही शिकार करते है, हिरण इनका मुख्य भोजन है, छोटे प्राणियों में ये खरगोश का भी शिकार करते है परंतु ये कभी-कभी बड़े स्तनधारियों का भी शिकार कर लेते है जैसे की ज़ेबरा और अफ्रीकी हिरण और अफ्रीकी चिड़िया गुनियाफॉल  इनका भी ये शिकार करते है |
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रविवार, 2 सितंबर 2012

Lion

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सिंह यह लैटिन शब्द लियो से व्युत्पन्न हुआ है, इसे ग्रीक में लिओन कहते है और इसका वैज्ञानिक नाम पेन्थेरा लियो है | सिंह वर्तमान में एशिया और उप सहारा अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते हैं, सिंह व्यापक रूप स्तनधारी जानवर है | सिंह की शारीरिक संरचना अगर हम बात करे व्यस्क सिंह की तो आम तौर पर नर सिंह 150-250 किलोग्राम के होते है और मादा सिंह के लिए वजन 120-182 किलोग्राम होता है | उनके शारीरिक भिन्नता उनके वातावरण और क्षेत्र पर निर्भर करती है | अलग-अलग क्षेत्रो के सिंह की शारीरिक-भिन्नता अलग पाई गयी है | नर सिंह शरीर की लंबाई नर में 170-250 सेमी और मादा में 140-175 सेमी लंबाई होती है | कंधे की ऊंचाई लगभग नर सिंग मादा से लंबा होता है नर में 123 से.मी. तो मादा में 107 से.मी. तक होता है साथ ही साथ पूंछ की लंबाई नर सिंह में 90-105 सेमी तो मादा में 70-100 सेमी होती है |
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                             सिंह के रंगों में भी बहुत भिन्नता देखने को मिलती है, यह बफ से लेकर, लाल ,पीला, या गहरा भूरा हो सकता है | सिंह के नीचले भाग आम तौर पर हल्के रंग के होते हैं और पूंछ का गुच्छा काला होता है। सिंह के शावक अपने शरीर पर भूरे धब्बों के साथ पैदा होते हैं, हालांकि जैसे-जैसे सिंह व्यस्क होने लगता है, ये धब्बे धीरे-धीरे फीके पड़ने लगते हैं, फीके पड़ गए धब्बों को विशेष रूप से मादा में, बाद में भी नीचले भागों और टांगों पर देखा जा सकता है | आमतौर पर सिंह शावको को जल्दी अपनी पुंछ और अयाल के साथ खेलने का अवसर नही देते है , ये अवसर उन्ही शावको को मिल पता है जिन्हें वो बहुत प्यार करते है | शावक भी पुंछ और अयाल के साथ खेल कर अपने पिता के प्रति प्यार प्रदर्शित करते है |
  
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                  एक वयस्क नर सिंह की अयाल, यह सिंह को बड़ा दिखाता है और एक शानदार रूप देता है | थम्ब रुल के अनुसार अयाल जितनी गहरी और घनी होती है, सिंह उतना ही स्वस्थ होता और सिंहनी भी अपने लैंगिक साथी के लिए उसी नर का चयन करती है जिस नर की जिसकी अयाल अधिक घनी और गहरी होती है उसी को वह पहली प्राथमिकता देती है | सिंह की जंगल में आयु १०-१४ वर्ष तक ही जीवित रहते हैं, क्योंकि जंगल में प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है, जबकि वे कैद मे २० वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं क्योकि यहाँ वो सुरक्षित रहते है प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े का अवसर नही होता है | सामान्य रूप से सिंह शिकार कम करते है, मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है | सिंह बहुत शक्तिशाली जानवर हैं, जो आमतौर पर समूह में शिकार करते हैं और अपने चयनित शिकार पर ही हमला करते है | हमला बहुत छोटा और शक्तिशाली होता है; वे बहुत तेज छलांग के साथ जल्दी से शिकार को पकड़ने का प्रयास करते है, जब वे शिकार से लगभग 30 मीटर या उससे कम की दूरी पर पहुँच जाते है तभी वे उस पर छलाँग लगते हैं, शिकार को आमतौर पर गला घोंट कर मारते है | इनका पसंदीदा शिकार भैसा, जेबरा, नील गाय, जंगली बोर, जंगली बीस्ट, हिरण और इम्पाला को प्राथमिकता देते है |


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Rhinoceros


                    
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राइनॉसरोसस शाकाहारी और स्तनधारी प्राणी है, राइनॉसरस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द के संधि-विच्छेद है राइनो+सेरोस, राइनो शब्द का अर्थ है नोज और सेरोस शब्द का अर्थ है हॉर्न अर्थात जिसके नाक पर सींग | ये र्हिनोसेरॉटिदाए जाति से संबंधित है | हिन्दी में इन्हे गैंडा कहते है  | गैंडों की कुल पाँच प्रजातिया पाई गयी है, काला गैंडा, भारतीय गैंडा, सूमाट्रन गैंडा, जावा गैंडा और सफ़ेद गैंडा | जावा गैंडे कम से कम पाए जाने वाले इस संसार के स्तनधारी प्राणी है | सफ़ेद गैंडा, अन्य गैंडों की प्रजाति में हाथी के बाद दूसरी सबसे बड़ी प्रजाति मानी जाती है | इनका वज़न हाथी के वज़न से लगभग आधा होता है, जहाँ हाथी का वज़न लगभग ७००० किलो तक होता है वही सफ़ेद गैंडा इसकी तुलना में ३५०० किलो तक होता है | सामान्यता: गैंडों की औसतन कद ६ फीट और लंबाई ११ फीट तक होती है | 
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शरीर के तुलना में गैंडों का मस्तिष्क बहुत ही छोटा होता है परंतु ये सोचना नही चाहिए की वो बेवकूफ़ होते है | गैंडों को दो अलग-अलग रंगों (काले और सफेद) के नाम से जानते है परन्तु इनका वास्तविक रंग स्लेटी होता है | गैंडे लड़ाई के समय अपने सींग का प्रयोग सुरक्षा के लिए करते है परंतु कुछ ऐसे भी गैंडे भी होते है जो सींग के बजाय अपने दातों का प्रयोग करते है | इनकी त्वचा काफ़ी मोटी होती है और बिल्कुल संवेदनशील भी | धूप से इनकी त्वचा कोई हानि नही पहुचा पाती है और ना धूप से झुलस जाने का भय होता है और न किसी भी कीड़ा-मकोड़ो का काटने का भय रहता है | गैंडे का सींग जो उसके नाक पर बना रहता है वो हड्डी की नही होती है और न ही वो खोपड़ी से जुड़ी होती है वो प्रोटीन से बनी होती है जिसे केरटिन कहते है ये उसी पदार्थ का बना होता है जिससे बाल और नाख़ून बने होते है | इनके सींग इनके लिए दावा के रूप में काम करती है | अगर ये कुछ भी जहरीले पौधे खा ले तो उनमें से ये विषहरण का काम करते है , इनके शरीर के बुखार को समाप्त करने में भी सहायक होती है | 
                                                                                      ये विशालकाय प्राणी शाकाहारी होता है और अपने विशाल पेट को भरने के लिए ये खूब ख़ाता है | इसकी नज़र बहुत ही कमजोर होती है लेकिन इनकी सुघने और सुनने की शक्ति बहुत ही अच्छी होती है | गैंडे अपने गोबर के द्वारा दूसरे गैंडो को संदेश भजने का काम करते है दूसरे गैंडे उनकी गंध को सूंघ कर ये जान जाते है की ये दूसरे गैंडे का इलाक़ा है | मादा गैंडा का प्रजनन काल १५-१६ महीनों तक होता है | गैंडे हमेशा झुंड में ही रहते है इनके झुंड को हर्ड और क्रॅश कहते है | इनका शरीर भारी होने के  कारण भी सफेद गैंडा ५०किलोमीटर / घंटा , काला गैंडा ५६ किलोमीटर / घंटा और भारतीय गैंडा ५५ किलोमीटर / घंटा  की रफ़्तार से दौड़ने में माहिर होते है | सफेद गैंडे की आयु ४०-५० साल तक होती है | वही काले गैंडे की ३५-५० साल तक होती है, काले गैंडो की अकसर मृतु आपस में लड़ के होती है जिसमे ५०% नर और ३०% मादा की संख्या आकी गयी है |

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Tiger


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बाघ जंगल में रहने वाला मांसाहारी पशु है। बाघ भारत देश का राष्ट्रीय पशु है | बाघ बड़े ही ताकतवर पशु माने जाते है | बाघों की संख्या भारत, नेपाल, भूटान, कोरिया, अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में अधिक संख्या में पाया जाता है | बाघों की कुल ९ प्रजातियों में से एक है, जो कि भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में पाई जाती है उसका नाम है रॉयल बंगाल टाइगर | बाघ को संस्कृत के व्याघ्र कहते है जो तदभव रूप है और इसका वैज्ञानिक नाम पेंथेरा टिग्रिस है | बाघ का वर्ग स्तनपायी और संघ कॉर्डेटा है यह देखने में इनका शरीर का रंग लाल और पीला रंग का मिश्रण है इनके शरीर पर काले रंग की पट्टी पायी जाती है | बाघो की लंबाई औसतन १३ फीट और वजन में ३०० किलो तक संभवत् हो सकते है | रॉयल बंगाल टाइगर की दहाड़ को 3 किलोमीटर की दूरी सुना जा सकता है | पूरे विश्वा में बाघों की संख्या ६,००० से भी कम है उसमे से लगभग ४,००० बाघ भारत में पाए जाते हैं | बाघ अधिकतर अकेले ही रहता है और उसका एक निश्चित क्षेत्र होता है वह मादा से प्रजननकाल के समय ही मिलता लगभग साढ़े तीन महीने का गर्भाधान का काल होता है और एक बार मादा २-३ शावको को ही जन्म देती हैं। बाघिन अपने बच्चे के साथ-साथ रहती है। बाघ के बच्चे अपने शिकार को पकड़ने की कला अपनी माँ से सीखते हैं। ढाई वर्ष के बाद ये स्वतंत्र रहने लगते हैं। बाघों की आयु लगभग १९ वर्ष होती है। बाघों का मनपसंद भोजन चीतल, सांभर, गौर, नील गाय, हॉग डीयर है, ये अपने भोजन के लिए इन्ही जनवरो का शिकार करते है | जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जो भारत का पहला बंगाल टाइगेर रिज़र्ब नेशनल पार्क है | उसे सन् १९३६ हेली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था | कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के राज्य के नैनीताल जिले के रामनगर में बसा हुआ है |
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