शनिवार, 25 जून 2016

KANGAROO कंगारू

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कंगारू एक ऐसा प्राणी है जो पूरे संसार में केवल आस्ट्रलिया में ही पाए जाते हैं | कंगारू शब्द की उत्पत्ति सर्वप्रथम नाविक जेम्स कुक १७७० नें की थी जब वो ऑस्ट्रेलिया के द्वीप पर पहुचें थे | इस शब्द (कंगारू) का अर्थ है "मुझे नही मालूम" | कंगारू रज्जुकी संघ: का जन्तु माना जाता है और यह स्तनधारी वर्ग जन्तु मक्रॉपुस प्रजाति: से संबंधित रखता है | मेक्रोपोडिडा प्रजाति का यह एकमात्र जन्तु, जो अपने बच्चों को अपनी ही खाल में बने थैले में रखता है जो सभी जानवरों से उसे भिन्न बनता है |कंगारू पूरे विश्व में केवल ऑस्ट्रेलिया में ही पाए जाते है और ये ऑस्ट्रेलिया के लिए विकास का प्रतीक समझा जाता है क्योंकि कंगारू का स्वाभव केवल आगे की ओर चलना होता है वो कभी पीछे नही चलता है इसलिए रेड कंगारू ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रीय पशु माना जाता है |कंगारूओं की कुल २१ प्रजातियों का अब तक पता चला है जिनमें १५८ जातियाँ तथा उपजातियाँ सम्मिलित है |

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नॅशनल जियोग्रॅफिक के अनुसार लाल कंगारू की लंबाई सिर से पूंछ तक ३.२५ से ५.२५ फीट ( १ से १.६ मीटर) तक होती है और इनके पुंछ केवल ३५.५ से ४३.५ इंच (९० से ११० सेंटीमीटर) तक होती है और इनके शरीर का वज़न ९० किलोग्राम तक होता है | इनकी पूँछ लंबी और मोटी होती है जो सिरे की ओर पतली होती है, कंगारू के शरीर की बनावट दूसरे जानवरों से काफ़ी भिन्न है सभी जानवरों के हाथ-पैर लगभग बराबर होते है परन्तु कंगारू के साथ ऐसा नही है इनके पैर इनके हाथों के तुलना में काफ़ी मजबूत और चौड़ी होती है, ये अपने दोनो पैरों हमेशा ही खड़े दिखाई पड़ते है इनके हाथ हमेशा ही उपर की ओर ही रहते है | कंगारूओं की आंखें बहुत ही तेज होती हैं, परंतु ये सिर्फ चलती-फिरती वस्तुओं को ही देख पाने में ही सक्षम होते है | इनके सुनने की शक्ति बहुत ही तेज होती हैं | इनके शरीर में पर्याप्त कोमल रोएँ होते हैं और कुछ के निचले भाग में घने रोओं की एक तह भी होती है | ये छलाँग मारने के लिए काफ़ी प्रसिद्ध है एक छलाँग में ये १५ फिट तक उड़ जाते है और लगभग ४५ किलोमीटर/घंटे के रफ़्तार से दौड़ पाते है | और इनकी भारी-भरकम पूंछ इनके छलाँग मारने और दौड़ने में काफ़ी सहायता प्रदान करती है |  

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इनका अनुमानित जीवनकाल २३ वर्षों तक होता है | मादा कंगारू २१  से ३८ दिनों में गर्भधारण करती है और एक बार में वो ४ बच्चों को जन्म देती है, नवजात बच्चों को जोए कहा जाता है ये अत्यंत छोटे होते है जन्म लेने वाले कंगारू भौंरा के आकार के होते है ०.२ से ०.९ इंच या (५ से २५ मिली-मीटर ) तक होता है | मादा कंगारू अपने बच्चों को अपने पेट में बने थैले में रख कर उनका पालन-पोषण करती है और उसी के अंदर ही उन्हें स्तनपान भी कराती है, जिसमे चार थन होते हैं। | ये स्तनपान मादा कंगारू अपने बच्चे को १२ से १७ महीनो की अवधि तक कराती है, उसके बाद बच्चे उनके थैले से बाहर निकल जाते हैं | कंगारू के बच्चे जल्द ही बड़े होने लगते है मादा कंगारू १.३ से २ साल तक और नर कंगारू को २ से ४ साल में पूर्णता: वयस्क हो जाते है | ये उछल- उछलकर चलते हैं मैदानों या जंगलो में चरते समय इनकी चाल काफ़ी धीमे रहती है और इनकी पूंछ इनका पाँचवा पैर का काम करता है जिसे ये धीरे-धीरे ज़मीन पर धक्का मारते-मारते आगे बढ़ते है | कंगारू  पूर्णतः शाकाहारी  होते  हैं  और  पेड़ों  की पत्तियां  और  घास खाते हैं और ये ऊँट के जैसे बिना पानी पिए कई दिनों तक रह सकते है | कंगारू शाकाहारी जीव है वो घासें, फूलों, पत्तियां, फर्न (एक तरह का पौधा), काई और कीड़ा-मकोड़ा को भी खा जाते है | और ये अपने भोजन को पचाने के लिए गाय की तरह अपना मुँह चलते रहते है जिससे उनका सारा खाया हुआ पच जाए |


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कंगारू सामाजिक जन्तु है और ये हमेशा झुंड में ही रहना ही पसंद करते है उनके झुंड को मॉब्स कहते है | कंगारूओं का झुंड ३ से लेकर १०० तक हो सकता है, ये झुंड में इसलिए रहते है की वो एक-दूसरे का साथ दे सके और संकट के समय में दूसरे जानवरों से एक दूसरे की रक्षा कर सके | जब उन्हें किसी संकट का आभास होता है तो वो अपने दूसरे साथियो को अपने पैर पीटकर-पीटकर उन्हें सावधान कर देते है | वैसे तो कंगारू शांतिप्रिय जानवर है, परंतु वह अन्य जानवरों से लड़ाई के समय अपनी पिछली टाँगों का प्रयोग करते है और अपनी रक्षा करते है |

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