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गधा एक ऐसा प्राणी जो संसार में बहुत ही मूर्ख समझा जाता है और उसकी उपमा सबको दी जाती है की "गधे ही हो क्या" और मुहावरा भी बना हुआ है "धोबी का गधा न घर का न घाट का" | पर क्या आप जानते है की गधा कैसा जीव है, प्रकृति द्वारा बनाया हुआ ये जीव इस इतने उपहासों के साथ कैसे इस दुनिया का और प्राणी-जगत अंग बना हुआ है |
हमारे देश भारत में, इस प्राणी उल्लेख वैदिक साहित्य में बहुत ही प्राचीन काल से मिल रहा है | ऋग्वेद जो सनातन धर्म का सबसे पुराना और पहला वेद माना जाता है उसमे 3.53.23 इसकी चर्चा की गयी है; तैत्तिरीय संहिता 5.1.2.1 में और ऐतरेय ब्राह्मण 4.9 में इसका उल्लेख मिलता है |
गधा देखने में तो ज़ीब्रा के तरह ही लगता है लेकिन Google Pic |
ज़ीब्रा के शरीर में धारिया होती है और गधा में ये नही होता है बाकी की उपरी बनावट लगभग समान होती है | गधा एनिमेलिया जगत का जीव है, संघ: कॉर्डेटा, वर्ग: स्तनधारी, वंश: इक़्वस, उपवंश: ऐसिनस, और इसकी जाति: इ. अफ्रीकैनुस की है | इसकी समानता घोड़े से लगभग मिलती जुलती है | वैज्ञानिक रूप से घोड़े की प्रजाति से सबंधित जो की उपजाति 'एसिनस वर्ग' से है, इस उपजाति से और भी प्राणी है परन्तु 'गधे' से तात्पर्य उस प्राणी से समझा जाता है जिसे लोग अपने काम के लिए पालते हैं | गधा, घोड़े की तुलना में बहुत है शाक्तिमान माना जाता है, समान आकर के गधे और घोड़े में तुलना करने पर गधा अधिक शक्तिशाली होता है | गधे की मूर्खता के विषय पर तो सभी जानते है परन्तु ये पूर्णतया: सत्य नही है अन्य पशुओ की तुलना में अविश्वसनीय स्मरण शक्ति है वो जिस भी क्षेत्र में रहता है उसे उस जगह के बारे में वो भूलता नही है लगभग उसकी याददाश्त २५ वर्षो तक बनी रहती है जिस भी रास्ते से वो एक बार गुजर जाता है वो रास्ता भी नही भूलता है, इसलिए धोबी अपने गधे पर जो भी भार रख देता है, गधा सीधा बिना इधर-उधर भटके घाट पर पहुच जाता है | गधा ऐसा कोई कार्य नही करता है जिससे संकटपूर्ण स्थिति पैदा हो या किसी को उससे नुसकान हो |
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गधा उग्र स्वाभाव का जानवर नही है जैसा की घोड़ा होता है, बहुत ही शांत स्वाभाव का प्राणी है | गधा बहुत ही स्वन्त्र विचार का प्राणी है, वो घोड़े के जैसा नही जो उसे कहा जाए वो करे, वो किसी के दबाव में आ कर कुछ नही करता है और न ही किसी से डरता है अगर उसे किसी प्रकार से डरने का प्रयास किया जाए तो भी वो डरता नही है | उसे कोई भी काम सौप दिया जाए तो उसमे सबसे पहले वो अपनी सुरक्षा देखता है की उस काम को करने में वो सुरक्षित है या नही, काम करते करते अगर वो अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है तो वो काम को छोड़ भी देता है | उसके किसी भी निर्णय में सर्वप्रथम अपनी सुरक्षा को ही प्राथमिकता देता है |
सभी जनवरो को पालतू बनाने के लिए उन्हें कुछ सिखाया जाता है, की वो उनकी बातों को समझे और उनका कार्य करें | परन्तु गधे को सीखना थोड़ा कठिन होता है क्योकि वो केवल वही सीखता है जो वो सीखना चाहता है, और वो ये भी सीखते वक़्त ये भी ध्यान देता है की उसे कुछ भी सीखने में उसे कोई नुकसान तो नही हो रहा है अगर वो ये महसूस करता है की वो असुक्षरित है तो उसे नही सीखना चाहता है | वो कुछ में सीखने में सुरक्षा को प्राथमिकता देता है |
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गधा रेगिस्तान का ही प्राणी माना जाता है इसलिए वो वहाँ के वातावरण से भली-भाती परिचित है, रेगिस्तान में भोजन प्राय: कम मिलते है इसलिए वो जो कुछ भी ख़ाता है उसे पूरा अच्छी तरह से (९५ %) भाग पचा लेता है जिससे उसका मल बेकार हो जाता है और वो खाद के रूप में खेती में प्रयोग नही किया जाता है | रेगिस्तान में गधे की सुनने की शक्ति बढ़ जाती है वो दूसरे गधे की आवाज़ को ६५ मील दूर से भी सुन सकता है | उसके कान घोड़े के कान से बड़ा होता है जिसके उसे रेगिस्तान में भी वो ठंडा महसूस करता है | बारिश का मौसम उसके लिए सबसे ख़तनाक मौसम माना जाता है इस मौसम उसकी सेहत अकसर बिगड़ जाती है |
गधे भी अपना नेता चुनते है, जंगलो में रहने वाले गधे ये जानते है की यहाँ हिंसक पशु है जो उनका शिकार कर सकते है इसलिए वो एक अच्छा नेता चुनते है जो उनकी सुरक्षा की ज़मीदारी ले सके और उन्हें हिंसक जनवरो से बचा सके | ये सुरक्षा की आदत पालतू गधो में भी हो जाती है वो आपस में किसी एक को अपना नेता मान लेते है | गधा अकेला नही रहना चाहते है अकेलेपन में वो बेचैन हो जाते है परंतु अगर उन्हें बकरियों के साथ रख दिया जाए तो उन्हें कोई परेशानी नही होती है | गधा को एक चौकीदार के रूप भी लोग इस्तेमाल करते है कहने को तो गधा है परंतु वो बकरी और भेड़ का अच्छे से चरागाहों में उनकी निगरानी कर सकता है उन्हें वो भटकने नही देता है और कही भटक गयी तो उन्हें वापस ले कर आ जाता है क्योकि वो जिस भी क्षेत्र में रहता है वो नही भूलता है और मार्ग भी यादास्त भी अच्छी होती है |
इस प्राणी को प्रायः समाज के ग़रीब वर्ग के लोग ही पलते है |
गुजरात के रण में स्थित, यह ४९५४ वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ भारत में सबसे बड़ा जंगली गधा का अभयारण्य है। इसे बलूची जंगली गदहा' भी कहते हैं।
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